सोमवार, 30 मई 2022

लाला भगत में सिर कटे मुर्गे की पूजा करते हैं लोग

लाला भगत में सिर कटे मुर्गे की पूजा करते हैं लोग
राहुल त्रिपाठी
कानपुर देहात जिले के रसूलाबाद से  (तहसील) 4-5 किलोमीटर मे एक गांव है लाला भगत। यहां कौमारी देवी का मंदिर है। ये मंदिर गुप्तकालीन बताया जाता है और ऐतिहासिक रूप से इतना संपन्न है कि पुरातत्व ने संरक्षण मे ले रखा है। इस मंदिर की चौखट पर सिर कटे मुर्गे की मूर्ति है जिसे कौमारी देवी के साथ लोग पूजते हैं। मान्यता है कि कौमारी देवी का वाहन कुक्कुट यानी मुर्गा है। किंवदंतियों के अनुसार मुर्गे की बांग कन्नौज तक सुनाई देती थी। दूसरी ओर महामहिम राष्ट्रपति के गांव के पास परहुल देवी का मंदिर है। कहते हैं कि वहां के दीपक की रोशनी बहुत दूर तक जाती थी। ये दोनों ही कन्नौज की रानी पद्मा की नींद मे खलल डालती थी। रानी ने गुस्से मे आकर आल्हा ऊदल से मुर्गे का सिर कटवा दिया था। परमाल रासो मे लिखा भी है...
मुर्गा मारेव लाला भगत को दिया बुझायेव परहुल क्यार। नवरात्र मे यहां बहुत बडा मेला लगता है। मंदिर के आसपास शिलापट बिखरे पडे हैं। इस मंदिर का जिक्र अंग्रेज इतिहासकार कंनिघम ने भी किया है। कानपुर के इतिहासकार डाॅ प्रदीप दीक्षित के अनुसार ये भगवान कार्तिकेय को समर्पित मंदिर है और उनका वाहन मोर है। ये खंडित मुर्गा नहीं मोर है। खैर क्या है और क्यों है ये अतीत के गर्भ मे है ,लेकिन गर्व करिये कि कितनी उदार और संवृद्  है हमारी सनातन संस्कृति कि हम पशु-पक्षियों को भी देवी देवताओं के समकक्ष रखते है।

लाला भगत में सिर कटे मुर्गे की पूजा करते हैं लोग

लाला भगत में सिर कटे मुर्गे की पूजा करते हैं लोग राहुल त्रिपाठी कानपुर देहात जिले के रसूलाबाद से  (तहसील) 4-5 किलोमीटर मे एक गां...